मंगल का हाथ में उचित स्‍थिति नहीं होना व्‍यक्‍ति पर प्रभाव डालता है। मंगल व्‍यक्‍ति के साहस का प्रतीक है। ज्‍योतिषविद पं राजेंद्र प्रकाश “निर्भय”  के अनुसार  हाथ में यदि ऊपर का मंगल बुध पर्वत की ओर खिसका हुआ तो जातक का स्वभाव उग्र होता है। ऐसा व्‍यक्‍ति हर वक्‍त अपने आप को कुशल योद्धा समझता रहता है। कई बार ऐसे लोगों को चोट लगने के चलते चीरफाड तक हो सकती है। ऐसे व्‍यक्‍ति को गंभीर चोट लग सकती है जिससे अधिक मात्रा में रक्‍तस्राव हो सकता है। मंगल पर्वत से निकलकर यदि कोई रेखा जीवनरेखा तक आए तो वह रेखा जहां जीवन रेखा को काट रही हो उस समय तथा उम्र में किसी दुर्घटना अथवा लड़ाई में अपने शरीर का कोई अंग भी गंवा सकता है। हाथ में अतिरिक्त मंगल पर्वत पर क्रास का निशान या द्वीप होना जातक को सिरदर्द, थकान और गुस्से जैसी समस्याएं भी दे सकता है। यह पर्वत अविकसित हो तो जातक डिप्रेशन का मरीज होता है। यदि मगंल के उस पर्वत से कोई रेखा चंद्र पर्वत तक जाए तो ऐसा जातक निर्णय लेने में विलंब तथा लगातार अनियमित कार्य करने का आदी होता है। यह मंगल पर्वत यदि चंद्र पर्वत से दबा हो तो उसे सफलता ना मिलने के कारण चिड़चिड़ापन भी होता है। इस पर्वत पर कोई अशुभ चिह्न व्यक्ति को आर्थिक मुसीबतों और पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है और उसकी वाणी प्रभावित होती है।

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