अंगारक दोष निवारण पूजा

क्या होता है अंगारक योग ?

अंगारक योग की वैदिक ज्योतिष में प्रचलित परिभाषा के अनुसार यदि किसी कुंडली में मंगल का राहु अथवा केतु में से किसी के साथ स्थान अथवा दृष्टि से संबंध स्थापित हो जाए तो ऐसी कुंडली में अंगारक योग का निर्माण हो जाता है जिसके कारण जातक का स्वभाव आक्रामक, हिंसक तथा नकारात्मक हो जाता है तथा इस योग के प्रभाव में आने वाले जातकों के अपने भाईयों, मित्रों तथा अन्य रिश्तेदारों के साथ संबंध भी खराब हो जाते हैं। कुछ वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि किसी कुंडली में अंगारक योग बन जाने पर ऐसा जातक अपराधी बन जाता है तथा उसे अपने अवैध कार्यों के चलते लंबे समय तक जेल अथवा कारावास में भी रहना पड़ सकता है। दूसरी ओर किसी कुंडली के तीसरे घर में शुभ मंगल का शुभ राहु अथवा शुभ केतु के साथ संबंध हो जाने से कुंडली में बनने वाला अंगारक योग शुभ फलदायी होगा जिसके प्रभाव में आने वाले जातक उच्च पुलिस अधिकारी, सेना अधिकारी, कुशल योद्धा आदि बन सकते हैं जो अपनी आक्रमकता तथा पराक्रम का प्रयोग केवल मानवता की रक्षा करने के लिए और अपराधियों को दंडित करने के लिए करते हैं।

कुंडली के 12 भाव में अंगारक योग से होने वाला नुकसान-
यदि जन्मकुंडली में मंगल और राहु एक साथ हो अर्थात कुंडली में मंगल राहु का योग हो तो सर्वप्रथम  तो कुंडली के जिस भाव में यह  योग बन  रहा हो उस भावको पीड़ित करता है और उस भाव से नियंत्रित होने वाले घटकों में संघर्ष कीस्थिति बनी रहती है। अंगारक योग बहुत खराब होता है इससे व्यक्ति के जीवन में लड़ाई-झगड़े तथा अराजकता फैलाने की प्रवृत्ति बढ़ती है | अंगारक योग का द्वादस भावो पर प्रभाव –

  • प्रथम भाव में अंगारक योग होने से पेट रोग, शरीर पर चोट, अस्थिर मानसिकता, क्रूरता होती है|
  • द्वितीय भाव में अंगारक योग होने से धन में उतार-चढ़ाव व व्यक्ति का घर-बार बरबाद हो जाता है।
  • तृतीय भाव में अंगारक योग होने से भाइयों से कटु संबंध बनते हैं परंतु व्यक्ति धोखेबाजी से सफल हो जाता है।
  • चतुर्थ भाव में अंगारक योग होने से माता को दुख व भूमि संबंधित विवाद होते हैं।
  • पंचम भाव में अंगारक योग होने से संतानहीनता व जुए-सट्टे से लाभ होता है।
  • छटम भाव में अंगारक योग होने से ऋण लेकर उन्नति होती है। व्यक्ति खूनी या शल्य-चिकित्सक भी बन सकता है।
  • सप्तम भाव में अंगारक योग होने से दुखी विवाहित जीवन, नाजायज संबंध, विधवा या विधुर होना परंतु सांझेदारी से लाभ भी मिलता है।
  • अष्टम भाव में अंगारक योग होने से पैतृक सम्पत्ति मिलती है परंतु सड़क दुर्घटना के प्रबल योग बनते हैं।
  • नवम भाव में अंगारक योग होने से व्यक्ति भाग्यहीन, वहमी, रूढ़ीवादी व तंत्रमंत्र में लिप्त होते हैं।
  • दशम भाव में अंगारक योग होने से व्यक्ति अति कर्मठ, मेहनतकश, स्पोर्टमेन व अत्यधिक सफल होते है।
  • एकादश भाव में अंगारक योग होने से प्रॉपर्टी से लाभ मिलता है। व्यक्ति चोर, कपटी धोखेबाज़ होते हैं।
  • द्वादश भाव में अंगारक योग होने से इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट व रिश्वतख़ोरी से लाभ। ऐसे व्यक्ति बलात्कार जैसे अपराधों में भी लिप्त होते हैं।

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दक्षिणा -5100.00

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