हस्त रेखा

हस्त रेखा ज्ञान शास्त्र (Palmistry)

बड़े-बुजुर्ग अकसर कहते हैं कि हमारी किस्मत हमारे हाथ में ही होती है। यह किस्मत हाथ की उन रेखाओं में भी समाई हुई है जो समय के साथ बदलती रहती हैं। हाथ की इन्हीं रेखाओं के अध्यन को हस्त रेखा (Hast Rekha) विज्ञान कहा जाता है।
हस्तरेखा (Palmistry in Hindi): हस्त रेखा विज्ञान बेहद प्राचीन है। प्राचीन वेदों में भी हाथ देखकर भविष्य की गणना करने के साक्ष्य मौजुद हैं। सबसे अधिक प्रभावी और विस्तृत रूप से हस्त रेखा विज्ञान (History of Palm Reading) का वर्णन सामुद्रिक शास्त्र में पाया गया है।
हाथ की रेखाएं (Palm Lines): हस्त रेखा शास्त्र में कई तरह की रेखाओं के महत्व को दर्शाया गया है लेकिन मुख्य रूप से सात रेखाओं (Main Palm Lines) को ही अहम स्थान दिया गया है। इन रेखाओं को पढ़ने के लिए विशेष ज्ञान की आवश्यकता होती है। आइए जानें इन रेखाओं के बारें में:

जीवन रेखा (Life Line Jivan Rekha)

हाथों की लकीरों में ही इंसान के जीवन-मरण का सारा रहस्य छुपा होता है। जीवन चक्र के इस रहस्य को बताने वाली इस रेखा को ही जीवन रेखा (Life Line in Hands/ Palm) कहा जाता है।
जीवन रेखा कहां होती है? (Life Line in Hand): जीवन रेखा का घेराव अंगुठे के निचले क्षेत्र में होता है। यह शुक्र का क्षेत्र माना जाता है। यह रेखा तर्जनी और अंगुठे के मध्य से शुरु होकर मणिबंध तक जाती है। इसका फैलाव एक आर्क की तरह होता है।

जीवन रेखा का फल (Life Line Reading in Hindi): जीवन रेखा को पढ़ने (Read Life Line in Palmistry in Hindi) से ही इंसान की आयु और उसके जीवन में रोगों आदि का पता चल पाता है।
* जीवन रेखा लंबी,पतली, साफ हो और बिना किसी रुकावट के होनी चाहिए।
* अगर जातक के हाथों में जीवन रेखा पर कई जगह छोटी-छोटी रेखाएं कट या क्रॉस (Meaning of Cross on life line in Hindi) कर रही हैं तो यह अच्छी सूचना नहीं देते।

* जीवन रेखा पर अगर कहीं रेखाएं स्टार का निशान बनाएं तो यह रीढ़ की हड्डी से संबंधित बिमारियों की निशानी होती है। सफेद बिंदु आंखो की समस्या को दर्शाता है। जीवन रेखा पर काला धब्बा या तिल या क्रॉस एक्सीडेंट की तरफ इशारा करते हैं।

विवाह शादी की रेखा (Marriage Line Shadi ki Rekha)

शादी के बिना समाज में स्त्री और पुरुष का रिश्ता मान्य नहीं होता। जीवन में विवाह के बारें में सटीक भविष्यवाणी करनी हो तो ज्योतिषी हाथों की विवाह रेखा (Marriage Lines in Palm) का अध्ययन करते हैं।
कहां होती हैं विवाह रेखा? (Marriage And Love Lines Reading in Hand): विवाह रेखा कनिष्टका यानि सबसे छोटी ऊंगली के निचले हिस्से में जिसे बुध पर्वत कहते हैं वहां आड़ी होती हैं। यह कई जातकों के हाथों में एक तो कई के हाथों में कई भी होती है।

विवाह रेखा का फल (Marriage Line Reading in Hindi): एक से अधिक विवाह रेखाओं के संदर्भ में वह रेखा मान्य होती है जो सबसे अधिक गहरी और स्पष्ट हो बाकि रेखा संबंधों के बिछड़ने या टूटने के संकेत देती है।
* अधिक विवाह रेखाएं तलाक, विवाहोत्तर संबंध, बेवफा रिश्तों आदि की संकेतक होती है।
* अगर दो विवाह रेखाएं हैं और एक स्पष्ट बेहद गहरी और दूसरी महीन लेकिन बुध पर्वत तक विकसीत है तो यह जातक के जीवन में दो शादियों की सूचना देती है।
* अगर विवाह रेखा ऊपर की तरफ आती हुई हृदय रेखा (Marriage Line Touches Heart Line) से मिले या फिर विवाह रेखा पर तिल हो या क्रॉस का निशान हो तो शादी में बहुत कठिनाइयां होती हैं।
* विवाह रेखा स्वास्थ्य रेखा से स्पर्श करे तो भी विवाह नहीं होता है। अगर विवाह रेखा पर एक से अधिक द्वीप हों या काला तिल हो तो यह जीवन भर अविवाहित होने का भय पैदा करता है।

भाग्य रेखा (Fate Line Bhagya Rekha)

हस्तरेखाओं में भाग्य रेखा (Fate Line in Palmistry in Hindi) को सबसे अहम माना जाता है।
कहां होती है भाग्य रेखा ? (Where is Fate Line in Hand): भाग्य रेखा हृदय रेखा के मध्य से शुरु होकर मणिबन्ध तक जाती है। इस रेखा का उद्गम अधिकतर मध्यमा या शनि पर्वत से होता है।
सीधे शब्दों में समझें तो जो रेखा मध्यमा यानि पंजे की बीच वाली लंबी उंगुली के नीचे से शुरु होकर ऊपर तक जाती है उसे ही भाग्य रेखा कहते हैं। कई जातकों के हाथों में यह मणिबंध यानि कलाई की रेखाओं तक भी जाती है।

भाग्य रेखा का फल (Fate Line Reading in Hindi): सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जिस जातक के हाथों में भाग्यरेखा जितनी अधिक गहरी और लंबी होती है उसका भाग्य उतना अधिक अच्छा होता है। लेकिन भाग्य रेखा का फीका या कटा होना अशुभ माना जाता है।
* मान्यता है कि जिस बिन्दु पर भाग्य रेखा को कोई रेखा काटती है उस वर्ष मनुष्य को भाग्य या धन की हानि होती है।
* अगर भाग्य रेखा जगह-जगह से टूटी (Broken Fate Line in Palmisty) हुई हो और शनि पर्वत से मणिबंध तक भी तो भी इसका खास महत्व नहीं होता। टूटी रेखाएं जीवन में भाग्य के समय-समय पर साथ छोड़ देने की निशानी बताएं गए हैं।

संतान रेखा (Child Line Santaan Rekha)

भाग्य में संतान सुख का प्रमाण ज्योतिष के अनुसार कई चीजों में होता है जैसे कुंडली या हस्त रेखाओं में। हाथ की संतान रेखा (Santan Rekha or Kids Line in Hands) भाग्य में संतान सुख की एक बेहद अहम निशानी है।
कहां होती है संतान रेखा? (Line of Children or Santan Rekha in Palmistry in Hindi): संतान रेखाएं ठीक विवाह रेखा के ऊपर होती हैं। बुध पर्वत यानि छोटी अंगुली के ठीक नीचे के भाग में विवाह रेखा होती है| वहीं मौजुद खड़ी रेखाएं संतान रेखा कहलाती हैं। संतान प्राप्ति के योगों को कई अन्य रेखाएं भी प्रभावित करती हैं जैसे मणिबंध रेखा, अंगुठे के नीचे पाई जाने वाली छोटी रेखा आदि।

कैसे पढ़े संतान रेखा (How to Read Santan Rekha): संतान रेखा स्पष्ट हैं तो इसका अर्थ है संतान अच्छी और माता पिता का सम्मान करने वाली होगी।
* अस्पष्ट और टूटी रेखाएं बच्चें के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।
* इसके अलावा संतान योग को मणिबंध रेखाएं भी प्रभावित करती हैं।

मणिबंध रेखा (Bracelet Lines Mani Bandh Rekha)

हाथ की सभी रेखाओं का सामुद्रिक शास्त्र में कुछ ना कुछ महत्व बताया गया है। हाथ की कलाई पर बनी मणिबंध रेखाओं (Bracelet lines) का भी भविष्यकथन में अहम स्थान है।
मणिबंध रेखाओं की पहचान (Bracelets Line on Hand): यह हाथ की कलाई पर शुरुआत में बनी होती है। यह किसी की कलाई पर तीन तो किसी की कलाई पर दो या चार भी होती हैं। यह रेखा आयु, स्वास्थ्य और संतान आदि की भविष्यवाणी करती है।

मणिबंध रेखा पढ़ने के नियम (How to read bracelet lines): मणिबंध रेखाएं आयु से जोड़कर भी देखी जाती है।
* सामुद्रिक शास्त्र और अन्य शास्त्रों के अनुसार एक मणिबंध रेखा 25 वर्ष की आयु को दर्शाती है। इसी तरह दो हो तो जातक की आयु 50, तीन हो तो 75 और अगर चार मणिबंध रेखा हो तो जातक बेहद सफल, संपन्न और दीर्घायु होता है।
* मणिबंध रेखा से अगर कोई रेखा निकलकर चन्द्र पर्वत की तरफ जाए जीवन में विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
* दो या चार मणिबंध रेखाओं (Bracelet lines in Palmistry) का होना जातक के जीवन प्रथम संतान कन्या के होने का संकेत देती हैं और विषम जैसे एक और तीन मणिबंध रेखाएं (Bracelet lines) प्रथम संतान के पुत्र होने का संकेत देती हैं।

ह्रदय रेखा (Heart Line Hridaya Rekha)

जीवन में प्यार के सभी अहसासों और प्यार की सारी कहानी को हृदय रेखाएं अपने अंदर समा कर रहती है।
हृदय रेखा कहां होती है? (Heart Line in Hand): हथेली पर हृदय रेखा तर्जनी और मध्यमा के बीच से शुरु होकर हथेली के दूसरे छोर तक जाती है। कई जातकों की हथेली पर यह रेखा तर्जनी के निचले हिस्से से शुरु होती है तो कई जातकों की हथेली पर यह रेखा बेहद छोटी भी होती है।

हृदय रेखा का फल (Heart Line Reading in Hindi): इस रेखा का विश्लेषण (Heart Line Palmistry Meaning in Hindi) कर यह बताया जा सकता है कि जीवन में प्रेम विवाह का योग है या नहीं।
* जिन जातकों के हाथों में गहरी और स्पष्ट हृदय रेखाएं हों जो तर्जनी या मध्यमा या गुरु या शुक्र पर्वत पर खत्म हो रही हो उन्हें जातक जीवन में अपार सफलता हासिल होती है और प्रेम संबंधों में कामयाबी मिलती है।
* लेकिन अगर किसी जातक के हाथों में हृदय रेखा का अंत तर्जनी या मध्यमा के मूल यानि नीचे की तरफ झुका हो उनपर प्यार के मामलों में भरोसा नहीं करना चाहिए। ऐसे पुरुष या स्त्री बेहद कामुक और बेवफाई के भावों से युक्त होते हैं

सूर्य रेखा (Sun Line Soorya Rekha)

हिन्दू ज्योतिषशास्त्रानुसार कई बार लोग बड़ी-बड़ी खोजें और बेहद दुर्लभ कार्य कर जाते हैं लेकिन कोई उनकी तारीफ नहीं करता, कोई उन्हें नहीं पूछता, ऐसे व्यक्तियों के जीवन में कमी यश रेखा या सूर्य रेखा की वजह से होती है।
कहां होती है सूर्य रेखा? (Surya Rekha in Hand:) सूर्य रेखा अनामिक ऊंगली यानि रिंग फिंगर के निचले क्षेत्र में होती है जो सूर्य पर्वत से शुरु होकर ऊपर की तरफ जाती है।
सूर्य पर्वत से लेकर मणिबंध तक जाने वाली सूर्य रेखा को असाधारण माना जाता है। ऐसी रेखा कलाकारों, नेताओं या बड़े सितारों के हाथों में आसानी से देखी जाती है। कई लोगों के हाथों में यह रेखा होती ही नहीं है।

जानें सूर्य रेखा के बारें में विशेष बातें (Sun Line in Palmistry and its different meanings): टूटी हुई सूर्य रेखा या हथेली पर सूर्य रेखा का ना होना अशुभ माना जाता है। हालांकि यह आम बात होती है क्यूंकि जरूरी नहीं कि हर इंसान यश प्राप्त करें। कई बार तो बड़े-बड़े वैज्ञानिकों के हाथ में भी यह रेखा नहीं होती।
जिन जातकों के हाथों में सूर्य रेखा ना हो उन्हें सूर्य देव का उपवास और सूर्य देवता को जल चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा शिवलिंग पर जल चढ़ाने और पीली वस्तुओं का दान देने से भी लाभ होता है।

अपराध ज्ञान  – हस्त रेखा (Apraadh – Hast Rekha)

अपराध और हस्त रेखा: जैसा कि हम जानते हैं हस्तरेखा विज्ञान एक वृहद शास्त्र है जो हर विषय पर जानकारी उपलब्ध कराता है और जिसकी मदद से हम बहुत सी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। जैसे कि समाज में बढ़ते अपराधों को रोकने में हस्तरेखा शास्त्र काफी मददगार साबित हो सकता है ! जी हां , कोई भी कुशल हस्तरेखा शास्त्री किसी व्यक्ति के हाथ का परिक्षण कर ये मालुम कर सकता है कि अमुक व्यक्ति अपराधी है अथवा सामान्य इंसान ! सामान्यतः हम जब भी किसी हाथ का अध्ययन करते हैं तो सर्वप्रथम अंगुलियों व अंगूठे की बनावट पर ध्यान देते हैं। अगर दोनों हथेलियों की त्वचा खुरदरी , अंगुलिया आगे से नुकीली व अंगूठा चपटा हो तथा मस्तिष्क रेखा हथेली के बीचों बीच नीचे की तरफ झुकती चली जाये अथवा ऊपर की तरफ उठती हुई ह्रदय रेखा से मिलने की कोशिश करे या मिल जाय तो समझ जाइये, ये हाथ किसी मानसिक रूप से विक्षिप्त अपराधी का है जो समय के साथ उग्र होता जाएगा । साथ ही ऐसे व्यक्ति के हाथ में शनि , मंगल पर्वत की स्थिति का भी सही आकलन जरूरी है। कोई भी कुशल हस्तरेखा विशेषज्ञ ये आकलन कर सकता है कि अमुक व्यक्ति किस समय अपराध करेगा ! जैसे कि मस्तिष्क रेखा या उससे निकल कर कोई शाखा अगर सूर्य पर्वत के नीचे आकर ह्रदय रेखा से मिल जाये अपराधी अपनी योजना को 25 वर्ष की उम्र तक मूर्त रूप दे देगा और अगर मस्तिष्क रेखा ,सूर्य व शनि पर्वत के मध्य आकर ह्रदय रेखा से मिले तो आप अंदाजा लगा लीजिये कि अपराध 30 वर्ष की आयु तक हो चुका होगा , इसी तरह हम आगे की गणना भी कर सकते हैं ।इसके अलावा मंगल , शनि व चन्द्र पर्वत पर स्थित क्रॉस ,जाल व काले धब्बे भी आपराधिक् स्वभाव के द्योतक होते हैं ।अपराध किस प्रकार का होगा, ये भी हम जान सकते हैं! जैसे कि हत्या , बलात्कार ,चोरी , डाका ,आत्महत्या आदि।चूंकि अपराध का सीधा सम्बंध व्यक्तिकी मनोवृत्ति जुड़ा है और मन का कारक चन्द्रमा है अतः जब भी किसी के हाथ का अध्ययन किया जायतबचन्द्रमा के पर्वत और मस्तिष्क रेखा का अच्छी तरह से अध्ययन बहुत जरूरी है । नीचे की तरफ अत्यधिक झुकी हुई मस्तिष्क रेखा अवसाद व आत्महत्या की प्रवृति को बढ़ावा देती है। कई बार मैंने ये भी देखा है कि अपराध होने से पूर्व अपराधी के हाथ में मंगल शनि व चन्द्रमा के क्षेत्र पे कुछ विशेष काले, भूरे दाग धब्बे व आकृतियां उभरने लगती हैं जिनका बारीकी से अध्ययन बहुत जरुरी है ।

दुर्घटना – हस्त रेखा (Durghatna – Hast Rekha)

दुर्घटना या हानि और हस्त रेखा: हथेली की उन रेखाओं व पर्वतों की जिन पर निशान पाया जाता है , जैसे कि जब क्रॉस का चिन्ह जीवन रेखा और भाग्य रेखाके मध्य पाया जाता है तब वह जातक के बिजनेस में या व्यापार में नुकसान का सूचक होता है इसी प्रकार जब क्रॉस का चिन्ह मस्तिष्क रेखा पर पाया जाता है तो उस समय विशेष में सिर पर चोट लगने या किसी सर्जरी का सूचक या सिर पर आघात लगने का सूचक होता है और जब क्रॉस का चिन्हजीवन रेखा पर पाया जाता है तो उस समय काल में व्यक्ति को दुर्घटना या किसी भी तरह की आर्थिक मानसिक व शारीरिक हानि उठानी पड़ती है।और जब✖ हृदय रेखा पर पाया जाए तो हृदयाघात या किसी सर्जरी या किसी भी तरह के मानसिक आघात का दिल पर गहरा प्रभाव पड़ता है । जब चंद्रमा के क्षेत्र पर अगर क्रॉस के एक या कई निशान पाए जाए तो यह यात्रा में असफलता या किसी दुर्घटना का सूचक होता है। इसी प्रकार बुध के क्षेत्र के पर्वत पर अगर क्रॉस का निशान पाया जाए तो उस समय अवधि में व्यक्ति को कारोबार मे विशेषकर साझेदारी में नुकसान पहुंचाता है। सूर्य पर्वत पर पाए जाने वाला क्रॉस का चिन्ह व्यक्ति को उसके कार्य क्षेत्र में अपयश या बदनामी दिलाता है। इसी प्रकार शनि पर्वत पर पाया जाने वाला क्रॉस का चिन्ह व्यक्ति को किसी दुर्घटना या जीवन पर खतरे का सूचक होता है। शुक्र के क्षेत्र पर पाए जाने वाले एक या दो क्रोस ✖ ये दर्शाते हैं कि जातक को अपने जीवन काल मे प्रेम संबंधों मे असफलता मिलगी । इसी प्रकार मंगल (उच्च व नीच)के क्षेत्र पर पाये जाने वाले गुणन ✖ भी अशुभ फल देते हैं जैसे कि शस्त्राघात से मृत्यु या अपराधिक तत्वों द्वारा मृत्यु ।यानि कि गुणन या ✖ अधिकतर परेशानी व मानसिक अवसाद का कारण होता है। अतः किसी भी हस्तरेखा विशेषज्ञ को हाथ मे क्रोस अध्ययन काफी सावधानी से करना चाहिए और तभी भविष्यवाणी करनी

भविष्य – हस्त रेखा (Bhavishya – Hast Rekha)

भविष्य और हस्त रेखा: गुरु पर्वत पर क्रॉस वैसे तो क्रोस या गुणन का चिन्ह हाथ में कहीं भी हो तो उसका अशुभ ही परिणाम देखने में आता है, परंतु गुरु पर्वत पर क्रॉस की उपस्थिति बहुत ही शुभ होती है। अगर हथेली में गुरु पर्वत पर क्रॉस पाया जाता है तो इसका सीधा संबंध संपन्न और सुखद जीवन से होता है, मैंने 90% केसेस में देखा है कि जातक के हाथ में जब गुरु पर्वत पर क्रॉस पाया जाता है तो अधिकांशतः उसकी वैवाहिक स्थिति यानी कि ससुराल पक्ष संपन्न होता है। कोई भी कुशल हस्तरेखा विशेषज्ञ क्रॉस का अध्ययन करते वक्त यह ध्यान रखें कि यह चिन्ह हथेली में किस रेखा पर व किस पर्वत पर स्थित है तभी उस की विवेचना करें और कोई फलादेश करे । गुरु पर्वत पर क्रॉस एक चीज और बताता है की जातक का अपने जीवन में कोई ना कोई एक घनिष्ठ प्रेम संबंध अवश्य ही रहेगा। अगर क्रॉस का चिन्ह गुरु पर्वत पर ऊपर की तरफ यानि कि तर्जनी के पास हो तो कोई प्रेम प्रसंग व्यक्ति के जीवन के प्रारंभिक दिनों में शुरु होगा लेकिन वह ज्यादा फलीभूत नहीं हो पाएगा अगर यह निशान गुरु पर्वत पर मध्य में स्थित हो तो जीवन के मध्य काल मे कोई प्रेम अवस्था में कोई प्रेम-प्रसंग जुड़ेगा और काफी समय तक चलने के आसार रहते हैं । क्रॉस का चिन्ह अगर गुरु पर्वत पर काफी नीचे यानी कि हृदय रेखा के समीप हो जीवन कि उत्तरार्ध में कोई प्रेम प्रसंग जुड़ेगा जो कि समय के साथ साथ घनिष्ठ होता जाएगा अतः गुरु पर क्रॉस या गुणन की उपस्थिति अधिकतर शुभफलदायी होती है। कई बार क्रोस का निशान दिल की रेखा व दीमाग की (heart line and brain line) रेखा के बीच मे पाया जाता है, जो यह दर्शाता है कि जातक ईश्रर मे यकीन रखने वाला व कुछ हद तक रुढिवादि प्रकृति का होगा साथ ही ऐसे लोग प्रखर बुद्धि के मालिक होते हैं ।अतः किसी भी कुशल हस्त रेखा शास्त्री को क्रोस का अध्ययन गम्भीरता से

त्रिकोण – हस्त रेखा (Trikon – Hast Rekha)

हथेली में त्रिकोण का होना और इसका महत्व: त्रिकोण या त्रिभुज , ज्यामिति शास्त्र की ऐसी रचना है जिसका महत्व सिर्फ गणित में ही नहीं अपितु अध्यात्म व ज्योतिष के क्षेत्र में भी उतना ही प्रचलित है। अधिकांश ज्योतिषीय यंत्रों की रचना त्रिभुज के आधार पर ही की जाती है क्योंकि त्रिभुज या त्रिकोण अपने आप में पूर्ण है और समस्त शक्तियां इसमें निहित हैं। हस्त रेखा शास्त्र में भी त्रिभुज को बहुत महत्व दिया जाता है,जो अपने में रहस्य व रोमांच समेटे हुए है हथेली में त्रिभुज सफलता की निशानी माना जाता है । स्वयं मेरा अनुभव रहा है कि जब भी हथेली के बीच में त्रिभुज या कोई भी त्रिकोड़ात्मक आकृति दिखाई दे तो ये आर्थिक सम्पन्नता व जायदाद ( property) का सूचक है। साथ ही व्यक्ति को संकट से भी बचाता है। हथेली में ये चिन्ह जहां भी पाया जाता है , वहां की शक्ति बढ़ जाती है। जैसे कि… “सूर्य “पर्वत पर स्थित त्रिभुज कला के क्षेत्र में जातक को धीरे धीरे उच्च सफलता दिलाता है।ऐसे जातक गंभीर स्वभाव के होते हैं । ” चन्द्रमा” के क्षेत्र पर स्थित त्रिभुज ये दर्शाता है कि व्यक्ति की विचार शक्ति काफी प्रबल है और वो जो कुछ भी सोचता है उसका कोई न कोई आधार जरूर होता है। त्रिकोण अगर “मंगल” के क्षेत्र पर पाया जाये तो जातक के जीवन में संघर्ष की स्थिति कम ही आती है और किसी कारणवश मुश्किल आ भी जाए तो ऐसे लोग अपनी चतुराई व बहादुरी से परस्थिति का सामना करते हैं । त्रिभुज की “शनि”पर स्थिति बड़ी रोचकता लिये हुए होती है क्योंकि ऐसे जातक अवश्य किसी न किसी रहस्यात्मक व गूढ़ विद्या के जानकार होते हैं। अर्थात बड़े बड़े ज्योतिषाचार्यों, तांत्रिकों आदि के हाथ में शनि के क्षेत्र पर त्रिभुजाकार आकृति अवश्य ही पायी जाती है। ऐसे लोग अपनी चमत्कारी विधाओं किसी का भी ध्यान अपनी और खींच लेते हैं । आइये अब बात करते हैं “गुरु” (Jupiter) क्षेत्र पर स्थित त्रिभुज की… “गुरु” पर्वत पर स्थित त्रिभुज व्यक्ति की बौद्धिक व प्रबंधन क्षमता को दर्शाता है। ऐसे लोग किसी भी संस्था की प्रबन्ध व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में निपुण होते हैं।अर्थात manager आदि के पद पर आसीन लोगों के हाथ में Jupiter पर त्रिभुज का चिन्ह अवश्य पाया जाता है। अब बात करते हैं “बुध ” पर्वत पर स्थित त्रिभुज की.. “बुध “पर्वत पर ये त्रिभुज, आर्थिक सम्पन्नता दर्शाता है, मतलब ऐसे जातक, अपनी सूझ बूझ से व्यापार को बढ़ाते हैं । और अब आते हैं ” शुक्र” पर्वत पर त्रिभुज की ओर, जिसका सीधा सा अर्थ है प्रेम, प्यार, भोग विलास, आमोद, प्रमोद व जीवन में भरपूर प्यार। त्रिभुज की आकृति अगर पति व पत्नी दोनों के ही हाथ में हो तो वैवाहिक जीवन सुखद होता है। “शुक्र” पर त्रिभुज प्रेम व प्रेमी दोनों के लिए ही अच्छा होता है यानी कि इस क्षेत्र पर त्रिभुज प्रेम में सफलता दिखता है। मेरे कहने का अभिप्राय ये है कि त्रिकोण हाथ में जहां भी होगा वहां की शुभता को बढ़ा देता है और व्यक्ति को संकट से बचाता है। की उपस्तिथि हाथ में हमेशा सफलता की सूचक है और अगर आपकी हथेली में बीचों बीच कोई त्रिकोण का चिन्ह जो कि कई रेखाओं से मिलकर बन रहा हो तो ये जमीन जायदाद का सूचक होता है यानी कि ऐसे जातक अपने जीवन काल में भवन निर्माण अवश्य करवाते हैं। अगर आप भी उन भाग्यशाली जातकों में शामिल हैं जिनके हाथ में त्रिभुज का चिन्ह है तो यकीनन आप एक् सफल व सुखी व्यक्ति हैं और आप पर ईश्वर की कृपा है।

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