चन्द्रमा पृथ्वी पर सबसे ज्यादा असर डालने वाला ग्रह है. इसका सीधा असर व्यक्ति के मन और संस्कारों पर पड़ता है इसलिए चन्द्रमा से बनने वाले एक एक योग इतने ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं. चन्द्रमा से तीन प्रकार के शुभ योग बनते हैं – अनफा , सुनफा और दुरधरा और एक अशुभ योग भी बनता है – केमद्रुम. कुंडली में केमद्रुम योग हो तो बहुत सारे शुभ योग निष्फल हो जाते हैं. यह व्यक्ति को मानसिक पीड़ा और दरिद्रता देता है.
कुंडली में चंद्रमा के कारण केमुद्रुम योग बनता है। कुंडली में चंद्रमा दूसरे या बारहवें भाव में होता है और चंद्र के आगे-पीछे के भावों में कोई ग्रह न हो तो यह योग बनता है। इस योग के कारण व्यक्ति को आजीवन धन की परेशानी झेलनी पड़ती है। कैसे बनता है केमद्रुम योग और इसका प्रभाव क्या होता है?
– चन्द्रमा के दोनों तरफ कोई ग्रह न हो
– तथा उस पर किसी ग्रह की दृष्टि न हो तो , केमद्रुम योग बन जाता है
– ऐसी दशा में व्यक्ति को मानसिक रोग या मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है
– कभी कभी एपीलेप्सी जैसी समस्या भी हो जाती है
– व्यक्ति को दरिद्रता का सामना भी करना पड़ता है
– धन को लेकर खूब उतार चढ़ाव होते हैं
– इसके कारण व्यक्ति को माता का सुख नहीं मिलता
– केमद्रुम योग कर्क , वृश्चिक और मीन लग्न में ज्यादा ख़राब होता है
कब केमद्रुम योग भंग हो जाता है?
– जब चन्द्रमा से अष्टम या छठवे भाव में शुभ ग्रह हों
– जब कुंडली में शुभ ग्रह मजबूत हों
– जब केंद्र में केवल शुभ ग्रह हों
– जब बृहस्पति केंद्र में हो
– जब शुक्ल पक्ष में रात्रि का या कृष्ण पक्ष में दिन का जन्म हो
केमद्रुम योग से बचने के उपाय क्या है?
– नित्य प्रातः माता के चरण स्पर्श करें
– अगर माँ न हों तो माता सामान स्त्री के चरण स्पर्श करें
– सोमवार को दूध , चावल या चीनी का दान करें
– शरीर पर चांदी जरूर धारण करें
– नित्य सायं “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः” का जाप करें
– हर महीने में एक बार शिवलिंग पर सफ़ेद चन्दन लगाएं और जल चढ़ाएं
– शिव जी की भक्ति से केमद्रुम योग निश्चित भंग हो जाता है
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