महाशक्ति साधना

शारदीय नवरात्रिका विशेष महत्‍व है। इस नवरात्रि में भगवती महाकाल, भगवती महालक्ष्‍मी एवं भगवती महासरस्‍वती की आराधना की जाती है। इन तीनों का सम्मिलित स्‍वरूप भगवती दुर्गा होती है। अत: भगवती दुर्गा को सर्वशक्ति स्‍वरूपा कहा जाता है। इन्‍हें अम्‍बा , अम्बिका अथवा अम्‍बालिका नाम से भी पुकारा जाता है। ये सिंहवाहिन हैं। त्रिगुणात्मिका कहा जाता है, अर्थात्‍ सत्‍ रज, तम नामक त्रिगुण को आधार बनाकर ये समस्‍त ब्रम्‍हा्ड की रचना करती है। अत: इन्‍हें भुवनेश्‍वरी भी कहते है। भगवान महाकाल शिव की शक्ति होने के कारण इन्‍हें शिवा कहा गया है। ये सृष्टि का संहार करने का कारण महाकली नाम से प्रसिद्ध है। सृष्टि में शाम्‍भवी माया सर्वाधिक गुप्‍त एवं रहस्‍य से परिपूर्ण है। भगवती वैष्‍णवी शक्ति सृष्टि का भरणपोषण करती है। ये अनन्‍तवीर्या है। ये ह पृथ्‍वी को अपने एक अंश से धारण करती है। इन्‍हें योगमाया भी कहते है। भगवती ब्राही् शक्ति सृष्टि की रचना करती है। इन्‍हें अनिरूद्धा, महासरस्‍वती तथा ब्राही् शक्ति कहते है। ये सतगुण से परिपूर्ण है। ब्रम्‍हा् , विष्‍णु , महेश आदि देवता इनकी आराधना करते है। अत: मनुष्‍य को अपने जीवन में महाशक्ति भगवती की आराधना अवश्‍य करनी चाहिए-

           नाराधिता येन शिवा सनातनी दु:खार्तिहा सिद्धिकरी जगद्वरा ।

           दु:खावृत: शत्रुयुतश्‍च भूतले नूनं दरिद्रो भवतीह मानव ।।

           यां विष्‍णुरिन्‍द्रो हरपदजौ तथा वह्रि: कुबेरो वरूणो दिवाकर:।

        ध्‍यायन्ति सर्वार्थसमाप्तिनन्दितास्‍तां किं मनुष्‍या न भजन्ति चण्डिकाम्‍ ।।

                                                  देवीपुराण , ३/२६/२३-२४.

भगवती महाशक्ति की आराधना दुर्गासप्‍तशती के माध्‍यम से आज सम्‍पूर्ण भारतवर्ष में प्रचलित है। इसके साथ इसके साथ ही अनेक साधक देवीभागवत महापुराण का भी पाठ करते है।