मगली कुण्‍डली विचार

मंगल को लेकर ज्‍योतिषीगण न भ्रम में रहे न भ्रमयुक्त निर्णय दें। भ्रमयुक्‍त निर्णय दाम्‍पत्य का नाश कर सकता है। अत: सावधानीपूर्वक मंगली कुण्‍डल का निर्णय दे।

  • कुण्‍डली में १, ४, ७ , ८, १२ वें भाव में मंगल बैठा हो तो कुण्‍डली मंगली होती है। इसी तर‍ह से चन्‍द्रमा के साथ मंगल बैठा हो या चन्‍द्रमा से ४, ७, ८, १२ वें भाव में बैठा हो तो कुण्‍डल चन्‍द्र मंगली होती है। प्रमाणवचन-

लग्‍ने व्‍यये च पाताले जामित्रे चाष्‍टमें कुजे। कन्‍या भर्तुविनाशाय भर्ता पत्‍नी विनाशकृत्‍ ।।

  • यदि लड़की मंगली कुण्‍डली वाली है तो लड़का भी मंगली कुण्‍डली वाला होना चाहिए।
  • मंगल दोष का परिहार शनि करता है। यदि शनि कुण्‍डली में लग्‍न या चन्‍द्रमा से १, ४, ७, ८, १२ वें भाव में बैठा हो तो वह मंगल दोष का शमन ( नाश ) करता है-

जामित्रे च यदा सौरि: लग्‍ने वा हिबुकेsथवा । अष्‍टमे द्वादशे वाsपि भौमदोषविनाशकृत ।।

  • यह व्‍यवस्‍था पूरे देश में मान्‍य है। सफ्टवेयर द्वारा कुण्‍डली मेलापक में चन्‍द्रमंगली दोष पर विचार नहीं किया गया है। यह घाटक प्रवृति है।
  • मंगल दोष का परिहार अपनी ही कुण्‍डली में नहीं देखा जाता है।
  • यदि कन्‍या की कुण्‍डली मंगली है तो परिहार वर की कुण्‍डली में देखा जाता है।
  • यदि वचर की कुण्‍डली मंगली है तो परिहार कन्‍या की कुण्‍डली में देखा जाता है।
  • १, ४, ७, केन्‍द्रों में बैठा मेष वृश्चिक , मकर का मंगल राजयोगकारी होने पर भी मंगली- कुण्‍डली का दोष देता है। यह दाम्‍पत्‍य के लिए बाधक होता है।

                            परिहार ( उपाय )

  • यदि लड़की की कुण्‍डली मंगली है और लड़के की कुण्‍डली मंगली नहीं है और कोई ज्‍योतिषीय परिहार न निकले तो धर्मशास्‍त्रीय परिहार करना चाहिए। ऐसा करने से विच्‍छेद या वैधव्‍यादि दोष नहीं उत्‍पन्‍न होता है।
  • कुम्भ विवाह, विष्‍णु प्रतिमा विवाह और अश्‍वत्‍थविवाह ये तीन धर्मशास्‍त्रीय परिहार कन्‍या के लिए बतलाये गये है। ये उपाय आज भी व्‍यवहार में हैं।
  • अर्कविवाह वर के लिए होता है। इससे कन्‍या के जीवन की रक्षा होती है।
  • मंगलदोष परिहार के लिए लड़का या लड़की का ( जो मंगल दोष से ग्रस्‍त हो ) सवा लाख महामृत्‍युंजय मंत्र जप कराया जाता है। यह भी परम्‍परा प्राप्‍त एवं शास्‍त्रोक्‍त परिहार है।
  • धर्मशास्‍त्रीय परिहार प्रायश: विवाह से पूर्व और तिलकोत्‍सव के बाद किया जाता है। अभी बहुतायत में यही परम्‍परा सक्रिय है।