एक प्राचीन परम्परा के अनुसार नवरात्रि में नौ शक्ति की पूजा की जाती है। इनका नाम निम्नवत् है – शतनेत्रा ( सौ ऑंख वाली ), सहस्त्रास्या ( एक हजार मुखवाली ), अयुतभुजा ( दस हजार बाहों वाली ), अश्वारूढ़ा ( घोड़े पर स्थित ), गजास्या ( हाथी मुख वाली ), त्वरिता ( सिद्ध कार्य करने वाली ), शववाहिन ( शव पर बैठकर यात्रा करने वाली ), विश्वा ( विश्वाभुजा नाम से प्रसिद्ध ), सौभाग्य गौरी ( स्त्रियों को सौभाग्य देने वाली )।
चार नवरात्रियॉं
दो प्रकट और दो गुप्त ये चार नवरात्रियॉं होती है। वासन्तिक ( चैत्र) एवं शारदीय ( आश्विन ) नवरात्रि को प्रकट माना गया है। आषाढ़ी एवं माघी नवरात्रि को गुप्त माना गया है। इस संदर्भ में प्रमाणवचन है- चैत्रेsश्विने तथाषाढे माघे कार्यो महोत्सव:। नवरात्रे महाराज । पजा कार्या विशेषत:।। श्रीमद् देवीभागवत, ३/२४/२१ । शुक्लपक्ष में प्रतिपदा से नवमी पर्यन्त नवरात्रि कहलाती है।