Description
सुनेहला (सिट्रीन)रत्न
पीले रंग का नरम तथा पूर्ण पारदर्शक रत्न होता है। यह पुखराज का उपरत्न है और पुखराज गुरु ग्रह का रत्न है इसलिए इसे पहनने से गुरू से संबंधित सभी लाभ मिलते हैं, मान-सम्मान की प्राप्ति होती है, निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है और सामाजिक कार्यों में रूचि बढ़ती है।
किसे धारण करना चाहिए
वैदिक ज्योतिष के अनुसार सुनेहला (सिट्रीन)रत्न गुरू से संबंधित है और यह धनु और मीन पर अधिकार रखता है इसलिए सुनेहला रत्न ( मीन और राशि ) के जातकों के लिए यह रत्न लाभकारी होता है। पश्चिमी ज्योतिष के अनुसार यह धनु राशि वालों का बर्थ स्टोन है।
सुनेहला (सिट्रीन)रत्न के लाभ
- सुनेहला (सिट्रीन)रत्न के प्रभाव से आर्थिक तंगी दूर होती है तथा रुपए-पैसे से संबंधित सभी प्रकार की दिक्कते अपने आप समाप्त होने लगती है।
- मानसिक तनाव से छुटकारा पाने के लिए यह रत्न सबसे उत्तम माना गया है।
- पढाई में एकाग्रता लाने के लिए और उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए यह रत्न बहुत ही सहायक होता है।
- इस रत्न को धारण करने के बाद शिक्षा, न्याय और पढ़ाई-लिखाई के क्षेत्र में जातक बेहतर प्रदर्शन करता है।
- इस रत्न को पहनने से गुस्सा भी शांत होता है और ये हार्मोन्स को कंट्रोल कर आपके दिमाग को शांत करता है।
कब और कैसे धारण करे:-
सुनेहला (सिट्रीन)रत्न बृहस्पति के दिन या गुरु की होरा में पहनना चाहिए ताकि पहनने वाले को इसका लाभ मिल सके ले
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