तुलसी दास जी ने जब राम चरित मानस की रचना की, तब उनसे किसी ने पूछा कि आप ने इसका नाम रामायण क्यों नहीं रखा? जबकि यह रामायण ही है। तुलसीदास जी ने कहा, क्योकि रामायण और राम चरित मानस में एक बहुत बड़ा अंतर है।
रामायण का अर्थ है राम का मंदिर, राम का घर। जब हम मंदिर जाते हैं तो एक समय पर जाना होता है। मंदिर जाने के लिए नहाना पड़ता है, जब मंदिर जाते हैं तो खाली हाथ नहीं जाते कुछ फूल, फल साथ लेकर जाना होता है। मंदिर जाने कि शर्त होती है कि साफ सुथरा होकर ही जाए। तुलसीदास जी ने कहा कि मानस अर्थात सरोवर, सरोवर में ऐसी कोई शर्त नहीं होती, समय की पाबंधी नहीं होती। कोई भी हो ,कैसा भी हो सरोवर में स्नान कर सकता है। व्यक्ति जब मैला होता है, गन्दा होता है तभी सरोवर में स्नान करने जाता है। इसलिए जो शुद्ध हो चुके हैं, वे रामायण में चले जाएं और जो शुद्ध होना चाहते हैं वे राम चरित मानस में आ जाएं। राम कथा जीवन के दोष मिटाती है।
रामचरित मानस के पाठ करने से व्यक्ति को शारीरिक ,मानसिक,आर्थिक एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है |
एस्ट्रोगृह की सेवा –एस्ट्रो गृह द्वारा स्थानीय शिव एवं हनुमान मंदिर में अखंड रामचरित मानस का संगीतमय पाठ गाजे बजे के साथ कराया जाता है, जो की 24 घंटे लगातार चलता है| लगभग 6-7 रामभक्तो की टोली रामचरित मानस का पाठ करती है| उनकी दक्षिणा भोजन, टेंट, माइक इत्यादि की व्यवस्था की जाती है| आप ऑनलाइन रामचरित मानस का पाठ कराकर अपनी मनोकामनाए पूर्ण कर सकते है |