श्रीअग्निदेव की लक्षप्रदक्षिणा

प्रज्‍जवलित यज्ञ अग्नि की एक लाख प्रदक्षिणा करने से अग्निदेवता प्रसन्‍न होते है। प्रदक्षिणा प्रारम्‍भ करने से पूर्व तीन अग्नियों की पूजा क जाती है। इनका नाम है- गार्हपत्‍यअग्नि, दक्षिणाग्नि,आहवनीय अग्नि। प्रदक्षिणा के अंत में हवन एवं ब्राम्‍हा्णभोजन करान चाहिए।

इसी प्राकर से गो, ब्राम्‍हा्ण तथा अश्‍वत्‍थ ( पीपल ) क भी लक्ष प्रदक्षिणा की जाती है।