वास्तुशास्त्र

पारंपरिक मान्यताओं के मुताबिक, प्रत्येक वास्तु का अपना ही ऊर्जा प्रकार होता है। जब एक बार कोई इंसान घर में रहना शुरू कर देता है, तो वह एक प्रकार के विशिष्ट ऊर्जा से जुड़ जाता है, और ये ऊर्जा उन्हें प्रभावित करना शुरू कर देती हैं। लेकिन जो विश्वास करते हैं, उनके घरो के लिए सकारात्मक ऊर्जा बहुत महत्वपूर्ण है। भारतीय वास्तु विज्ञान में यह सुनिश्चित करने के लिए कई वास्तु उपाय है, जिसके चलते बिना किसी ( संरचनात्मक ) परिवर्तन के घर खुशियों से भर जाता है। सही वास्तु उपाय, समाधान और सुझाव लेने पर आपके जीवन में सफलता प्राप्त करने में आपकी मदद करेंगे। बस आपको सरल वास्तु जैसे एक सही वास्तु विशेषज्ञ की आवश्यकता है।
प्रत्येक परिवार की पहली आवश्यकता होती है, अपना घर। मध्यम वर्ग इस सपने को संजोने के लिए जीवन भर संघर्ष करता है। जिस समय यह सपना सच होने जा रहा हो, तो हमें वह घर पूर्ण रूप से समृद्धि दें, इसका ध्यान रखना चाहिए। अत: वास्तु के अनुसार गृह निर्माण करवाना चाहिए।
किसी भी प्लॉट या भूमि पर गृह निर्माण करते समय यह ध्यान रखें कि भूमि (प्लॉट) के अग्नि कोण में पाक गृह (रसोई गृह), दक्षिण में शयन गृह, नैऋत्य कोण में अस्त्र-शस्त्रागार, पश्चिम में भोजन करने का गृह, वायव्य कोण में धन रखने का गृह, ईशान में देवालय एवं उत्तर में जल रखने का गृह रखें तथा उत्तर-पूर्व के मध्य बाथरूम होना चाहिए। इसी प्रकार
* दूध, दही, घी, सिरका, अचार का स्थान रसोई के बगल में होना चाहिए। श्रृंगार एवं औषधि सामग्री शयन गृह के बगल में होना चाहिए। विद्यार्थियों के पढ़ने का कमरा देवालय के बगल में होना चाहिए।

* घर के आस-पास बड़, पीपल, इमली, कैथ, नींबू, कांटे वाले एवं दूध वाले वृक्ष नहीं होना चाहिए। इस वृक्षों के घर के आस-पास होने से धन की हानि होती है।
* कुआं एवं जल का स्थान मुख्य द्वार से पूर्व ईशान, उत्तर अथवा पश्चिम में होने से धन प्राप्त होता है। सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है।
* अग्निकोण में संतान हानि, दक्षिण में गृहिणी का नाश, नैऋत्य कोण में गृह मालिक का नाश एवं वायु कोण में भय, चिंता बनी रहती है।
* भवन में स्तंभ लगाने की आवश्यकता हो, तो स्तंभ सम संख्या में लगवाना चाहिए। इनकी संख्या यदि विषम हो, तो अशुभ फल देते है।
* पूर्ण रूप से उपरोक्त विधि को ध्यान में रखते हुए भवन निर्माण करने से घर में सुख-समृद्धि, यश, वैभव एवं शांति प्राप्त होती है।

वास्तु दोष दूर करने वाले 21 वास्तुशास्त्र के टिप्स
आइए जानते हैं कि वास्तुशास्त्र के नियम के आधार पर हमारा घर कितना खरा उतरता है. घर के लिए कुछ महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स. वास्तु एक प्राचीन विज्ञान है, जो हमें बताता है कि घर, ऑफिस, व्यवसाय इत्यादि में कौन सी चीज होनी चाहिए और कौन सी नहीं. साथ हीं हमें यह भी बतलाता है कि किस चीज के लिए कौन सी दिशा सही होगी. यह हमें बताता है कि वास्तु दोषों का निवारण कैसे किया जा सकता है |

आइये जाने वास्तु के मुख्य धन देने वाले 21 टिप्स के बारे में :-
1. पूजा घर उत्तर-पूर्व दिशा अर्थात ईशान कोण में बनाना सबसे अच्छा रहता है. अगर इस दिशा में पूजा घर बनाना सम्भव नहीं हो रहा हो, तो उत्तर दिशा में पूजा घर बनाया जा सकता है. लेकिन ध्यान रखें कि ईशान कोण सर्वश्रेष्ठ दिशा है.

2. पूजा घर में प्रतिमा स्थापित नहीं करनी चाहिए क्योंकि घर में प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति का ध्यान उस तरह से नहीं रखा जा सकता है जैसा कि रखा जाना चाहिए. अतः छोटी मूर्तियाँ और चित्र हीं पूजा घर में लगाने चाहिए.
3. .सीढ़ी के नीचे पूजा घर नहीं बनाना चाहिए.
4. फटे हुए चित्र, या खंडित मूर्ति पूजा घर में बिल्कुल नहीं होनी चाहिए.
5. पूजा घर और रसोई या बेडरूम एक हीं कमरे में नहीं होना चाहिए.
6. घर के मालिक का कमरा दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए. अगर इस दिशा में सम्भव न हो, तो उत्तर-पश्चिम दिशा दूसरा सर्वश्रेष्ठ विकल्प है.
7. गेस्ट रूम उत्तर-पूर्व की ओर होना चाहिए. अगर उत्तर-पूर्व में कमरा बनाना सम्भव न हो, तो उत्तर पश्चिम दिशा दूसरा सर्वश्रेष्ठ विकल्प है.
8. उत्तर-पूर्व में किसी का भी बेडरूम नहीं होना चाहिए.
9. रसोई के लिए दक्षिण-पूर्व दिशा सबसे अच्छी होती है.
10.शौचालय और स्नानघर दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना सर्वश्रेष्ठ है.

11.घर की सीढ़ी सामने की ओर से नहीं होनी चाहिए, और सीढ़ी ऐसी जगह पर होनी चाहिए कि घर में घूसने वाले व्यक्ति को यह सामने नजर नहीं आनी चाहिए.
12 सीढ़ी के पायदानों की संख्या विषम 21, 23, 25 इत्यादि होनी चाहिए.
13.सीढ़ी के नीचे शौचालय, रसोई, स्नानघर, पूजा घर इत्यादि नहीं होने चाहिए. सीढ़ी के नीचे कबाड़ भी नहीं रखना चाहिए.
14.सीढ़ी के नीचे कुछ उपयोगी सामान रख सकते हैं और सीढ़ी के नीचे रखे हुए सामान सुसज्जित होने चाहिए.
15.घर का कोई भी रैक खुला नहीं होना चाहिए. उसमें पल्ले जरुर लगाने चाहिए.
16.कमरे की लाइट्स पूर्व या उत्तर दिशा में लगी होनी चाहिए.
17. घर के ज्यादातर कमरों की खिड़कियाँ और दरवाजे उत्तर या पूर्व दिशा में खुलने चाहिए. सीढ़ी पश्चिम दिशा में होनी चाहिए.
18.घर का मुख्य दरवाजा दक्षिणमुखी नहीं होना चाहिए. अगर मजबूरी में दक्षिणमुखी दरवाजा बनाना पड़ गया हो, तो दरवाजे के सामने एक बड़ा सा आईना लगा दें.
19.घर के प्रवेश द्वार में ऊं या स्वस्तिक बनाएँ या उसकी थोड़ी बड़ी आकृति लगाएँ.
20.पूजा घर या उत्तर-पूर्व दिशा में जल से भरकर कलश रखें.
21.शयनकक्ष में भगवान की या धार्मिक आस्थाओं से जुड़ी तस्वीर नहीं लगानी चाहिए.
22.ताजमहल एक मकबरा है, इसलिए न तो इसकी तस्वीर घर में लगानी चाहिए. और न हीं इसका कोई शो पीस घर में रखना चाहिए.
23.जंगली जानवरों के फोटो घर में नहीं रखने चाहिए.
24.पानी के फुहारे को घर में नहीं लगाना चाहिए. क्योंकि इससे धन नहीं ठहरता है. नटराज की तस्वीर या मूर्ति घर में नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इसमें शिवजी ने विकराल रूप लिया हुआ है. महाभारत का कोई भी चित्र घर में नहीं रखना चाहिए. क्योंकि इससे कलह कभी खत्म नहीं होता है.