विशेष रूद्राभिषेक का फल

* हीरा के शिवलिंग पर अभिषेक से दीर्घायु प्राप्ति होती है- आयुष्‍यं हीरजे लिग्डें ।

* मोती के शिवलिंग पर अभिषेक से रोगनाश होता है- मौक्तिके रोगनाश:।

* वैदूर्य  ( लहसूनिया ) के शिवलिंग पर अभिषेक से शत्रूनाशा होता है- वैडूर्ये शत्रूनाश:।

* पुखराज के शिवलिंग पर अभिषेक‍ से राजलक्ष्‍मी प्राप्ति होती है- पदारागे लक्ष्‍मी :।

* नीलम के शिवलिंग पर अभिषेक से यश प्राप्ति होती है- ऐन्‍द्रनीले यश:।

* मरकत ( मरगज ) शिवलिंग पर अभिषेक से पुष्टि  ( प्रबलता ) होती है – मारकते पुष्टि:।

* स्‍फटिक के शिवलिंग पर अभिषेक से सर्वकामना की प्राप्ति होती है- स्‍फाटिके सर्वकामा:।

* चॉंदी के शिवलिंग पर अभिषेक से राज्‍यप्राप्ति, पितृमुक्ति होती है- राजते राज्‍यं पितृमुक्ति:।

* स्‍वर्ण के शिवलिंग पर अभिषेक सत्‍यलोक की प्राप्ति हाती है– हैमे सत्‍यलोक:।

* ताम्र  ( ताम्‍बा ) के शिवलिंग पर अभिषेक से पुष्टि एवं आयुप्राप्ति होती है- ताम्रे पुष्टिरायुश्‍च।

* पीतल के शिवलिंग पर अभिषेक से संतुष्‍ट की प्राप्ति होती है- पैतले तुष्टि:।

* कांस्‍य के शिवलिंग पर अभिषेक से कीर्ति ( यश ) की प्राप्ति होती है- कांस्‍ये कीर्ति:।

* लोहा के शिवलिंग पर अभिषेक से शत्रुनाश होता है – लौहे शत्रुनाश:।

* सीसा के शिवलिंग पर अभिषेक से आयु की प्राप्ति होती है- सीसजे आयुष्‍यम्‍ ।

* हाथीदात के शिव शिवलिंग पर अभिषेक से सेनापतित्‍व की प्राप्ति हेाती है- हस्त्दिन्‍तजे सेनापत्‍यम्‍ ।

* आटे के शिवलिंग पर अभिषेक से पुष्टिप्राप्ति एवं रोगनाश होता है- ब्रीहा्दिधान्‍यपिष्‍टजे पुष्टिरोगनाश:।

* उड़द के आटे के शिवलिंग पर अभिषेक से सुन्‍दर स्‍त्री प्राप्ति होती है– माषजे स्‍त्री:।

* मक्‍खन के शिवलिंग पर अभिषेक से समस्‍त सुख की प्राप्ति होती है– नावनीते सुखम्‍ ।

* गोबर के शिवलिंग पर अभिषेक से रोगनाश होता है गोमयजे रोगनाश:।

* गुण के शिवलिंग पर अभिषेक से अन्‍न की प्राप्ति होती है- गौडेsन्‍नादि:।

* बॉंस के शिवलिंग पर अभिषेक से वंशवृद्धि होती है– वंशे वेशवृद्धि:।

लक्ष्‍यदीप दान- श्रीमहादेव शिव के सामने जो व्‍यक्ति एक लाख दीपक जलाता है वह अव्‍यय (मोक्ष) पद को प्राप्‍त करता है- एवं य: कुरूते मर्त्‍यो लक्षदीपादिदीपनम्‍ । नरो वाप्‍यथवा नारी सोsश्‍नुते पदमव्‍ययम्‍ ।। उसके जन्‍म जन्‍मान्‍तर के पाप भस्‍म हो जाते है। गोघृत का दीप जलाने से स्‍वर्गलोक की प्राप्ति, सरसो तेल का दीप जलाने से शिवसामीप्‍य की उपलब्धि तथा अलसी तेल का दीप जलाने से पूर्वजो का उद्धार होता है। तिल के तेल से दीप जलाने पर तेजस्विता की प्राप्ति होती है ( व्रतराज )।