जागेश्वर धाम
मुख्य मंदिर परिसर एक ऊंची, पत्थर की दीवार से चारों ओर से घिरा हुआ है। यह जागेश्वर धाम कहलाता है। इसकी सीमा के भीतर १२४ छोटे बड़े मंदिर स्थित हैं। दूर से ही मंदिरों के शिखर दिखाई पड़ रहे थे।
जागेश्वर या नागेश्वर के शिव मंदिर
जागेश्वर धाम मंदिर परिसर में १२४ मंदिर हैं जो भगवान् शिव को उनके लिंग रूप में समर्पित हैं। हालांकि प्रत्येक मन्दिर के भिन्न भिन्न नाम हैं। कुछ शिव के विभिन्न रूपों पर आधारित और कुछ समर्पित हैं नवग्रह जैसे ब्रह्मांडीय पिंडों पर। एक मंदिर शक्ति को समर्पित है जिसके भीतर देवी की सुन्दर मूर्ति है। एक मंदिर दक्षिणमुखी हनुमान तो एक मंदिर नवदुर्गा को भी समर्पित है।
अधिकतर मंदिरों के भीतर शिवलिंग स्थापित हैं। मंदिरों के नामों पर आधारित शिलाखंड पट्टिकाएं मंदिरों के प्रवेशद्वारों पर लगाए गए है। जैसे कुबेर मंदिर के ऊपर कुबेर पट्टिका, लाकुलिश मंदिर के ऊपर लाकुलिश पट्टिका। इसी तरह तान्डेश्वर मन्दिर के प्रवेशद्वार के ऊपर लगी पट्टिका पर नृत्य करते शिव का शिल्प है।
उत्तरांचल के जंगलों से भरपूर पहाड़ी पर जागेश्वर अथवा नागेश के रूप में शिवालय है जागेश्वर धाम। यह सम्पूर्ण मंदिरों की नगरी है और इस तरह शिव मंदिरों को समर्पित है। ऊंचे चीड़ के वृक्षों के बीच से जाते हुए हम अल्मोड़ा से ३५ की.मी. दूर है जागेश्वर ।
इसे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहते है –
दारुका बने नागेश्वारह द्वादस ज्योतिर्लिंग में में इसका वर्णन है |यह स्थान देवदार के बृक्ष से घिरा हुआ है | मंदिर करीब 2500 वर्ष पुराना है |ऐसी मान्यता है की यह ही वह ज्योतिर्लिंग है |