मुण्‍डन मुहूर्त

* मुण्‍डन को चौल, चूड़ा वपन भी कहते है।

* मुण्‍डन को एक वर्ष के भीतर, तीसरे वर्ष में या विषम वर्ष में किया जाता है।

* इस संस्‍कार को उतरायण में यिका जाता है-  चौलोपवीतं नैवयाम्‍यायने स्‍यात्‍ मु.चि. ५/२६

* मुण्‍डन माघ, फाल्‍गुन, वैशाख, ज्‍येष्‍ठ, आषाढ़ मास में हरिशयनपूर्व किया जाता है।

* चैत्र में मुण्‍डन वर्जित है- चैत्रे चौलं न कारयेत् ।

* सम्‍पूर्ण शुक्‍लपक्ष तथा कृष्‍णपक्ष में पंचमी तिथि पर्यन्‍त मुण्‍डन किया जाता है।

* आश्विन, मृगशीर्ष, पुनर्वसु, पुष्‍य, हस्‍त, चित्रा, स्‍वाती, ज्‍येष्‍ठा, श्रवण धनिष्‍ठा, शतभिषा, रेवती प्रभृति १२ नक्षत्रों में मुण्‍डन किया जाता है। रोहिणी, उ. फा. अनुराधा उ.षा. भा. वर्जित है।

* मुण्‍डन कर्म २, ३, ४, ५, ६, ७, ९, १२, लग्‍न में होता है। १, ८, १०, ११, लग्‍न वर्जित है।

* सोम, बुध, गुरू, शुक्र, के दिन मुण्‍डन किया जाता है – ज्ञेन्‍दुशुक्रेज्‍यकानाम् ।

* विहितातिथियॉं – २, ३, ५, ७, १०, ११, १३ त्‍याज्‍यतिथियॉं १, ४, ६, ८, ९, १२, १४, १५, ३०।

* मुण्‍डन कर्म पूर्वाह्र एवं मध्‍याह्र में किया जाता है।

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