नवीन भवन में प्रवेश हेतु वैशाख, ज्येष्ठ, माघ, फाल्गुन ये चार श्रेष्ठ मास माने गये है। ये उतरायण में पड़ते हैं। जीर्णगृह को पुन:निर्मित कर प्रवेश करने हेतु श्रावण, कार्तिक, मार्गशीर्ष मास अनुकूल होते है। ये तीनों मास दक्षिणायन में पड़ते है। इन्ही चान्द्रमासों में गृहप्रवेश करना चाहिए।
ग्राहा्वार- सोमवार, बुधवार, गुरूवार, शनिवार।
ग्राहा्नक्षत्र- रोहिणी, मृगशीर्ष, तीनों उतरा चित्रा, अनुराधा, रेवती। कुल८नक्षत्र है।
आचार्य वैद्यनाथ और रत्नमालाकार ने हस्त नक्षत्र को भी गृहप्रवेश में लिया है। पर यह सर्वसम्मत न होकर अल्पमत है। पंचांगकारों ने इसे त्याग दिया है।
जीर्णगृहप्रवेश के नक्षत्र – शतभिषा, पुष्य, स्वाती, धनिष्ठा – अम्बुपेज्यानिलवासवेषु। मुहूर्तचिन्तामणि, प्रकरण १३, श्लोक २।
ग्राहा्तिथि – १, २, ३, ५, ६, ७, ८, १०, ११, १२, १३ तिथियों में गृहप्रवेश किया जाता है।