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सूर्य यंत्र | Surya Yantra | Importance of Surya Yantra
ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को प्रमुख ग्रह के रूप मान्यता प्राप्त है. सूर्य देव को नवग्रहों में सबसे शक्तिशाली ग्रह माना गया है इन्हें आत्म कारक कहा गया है. सभी ग्रह इन्हीं की परिक्रमा करते हैं. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सम्पूर्ण विश्व राशि-नक्षत्र और ग्रहों से प्रभावित है. सूर्य पित्त प्रधान ग्रह हैं इनसे प्रभावित व्यक्ति बहुत जल्दी उग्र हो जाते हैं. गंभीरता एवं आत्माभिमान भी इनसे प्रभावित व्यक्तियों में दिखाई देता है. यह दृढ़ इच्छा शक्ति देता है और नेतृत्व की क्षमता प्रदान करता है.
सूर्य यदि मंदा हो तो पर व्यक्ति में अभिमानी होता है. छोटी छोटी बातों पर क्रोधित होकर लड़ने को तैयार रहता हैं. अशुभ सूर्य हृदय को कठोर बनता है अर्थात मन में दया की भावना का अभाव होता है. सूर्य नेत्रों, हृदय एवं हड्डियों पर प्रभाव रखता है. आत्मिक बल, धैर्य, स्वास्थ्य के अधिकारी सूर्य हैं. सूर्य के कमजोर होने पर दुर्बलता, मानसिक अशांति, हृदय रोग एवं नेत्र सम्बन्धी रोगों की संभावना बन सकती है. ऐसी स्थिति में यदि सूर्य यंत्र का विधि-विधान पूर्वक पूजन किया जाए तो शुभता में वृद्धि होती है. सूर्य मजबूत और शुभ स्थिति में होने पर राज्याधिकारी एवं विशिष्ट पद दिलाता है.
सूर्य यंत्र की पूजा | Surya Yantra Puja
इस यंत्र की स्थापना रविवार या किसी शुभ मुहूर्त में कि जा सकती है. सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ एवं शुद्ध श्वेत वस्त्र धारण करने चाहिएं. यंत्र स्थापना से पूर्व सूर्य यंत्र को गंगाजल व गाय के दूध से पवित्र कर लेना चाहिए. पूर्व दिशा की ओर मुंह कर बैठना चाहिए तथा पीला रेशमी वस्त्र बिछाकर उस पर सूर्य यंत्र स्थापित करना चाहिए. सूर्य यंत्र पर चंदन, केसर, सुपारी व लाल पुष्प अर्पित करने चाहिए.
इस यंत्र का विधिपूर्वक पूजन करने के पश्चात सूर्य मंत्र का जप करना चाहिए:- “ॐ घृणि सूर्याय नम:।”
मंत्र जाप के पश्चात सूर्य यंत्र को पूजा स्थान पर रखे दें तथा प्रतिदिन इस यंत्र का पूजन-पाठ किया करें. इस प्रकार इस यंत्र का पूजन करने से शीघ्र ही सूर्य संबंधी होने वाली समस्याएं समाप्त हो जाती हैं. जिन व्यक्तियों की कुंडली में सूर्य की महादशा या सूर्य की अंतरदशा चल रही हो, उनके लिए सूर्य यंत्र की पूजा लाभदायक होती है. सूर्य यंत्र दो प्रकार के होते हैं पहला नवग्रहों का एक ही यंत्र होता है दूसरा नवग्रहों का अलग-अलग पूजन यंत्र होता है. इस यंत्र को सामने रखकर उपासना करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं, आरोग्य प्राप्त होता है, व्यापार तथा नौकरी में सफलता मिलती है और यश तथा पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है.
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